एक बात--
✍कितना अज़ीब है...
✨कि इंसान जब पैसे गिनता है तब,
किसी ओर जगह पर ध्यान नहीं देता..
✨मगर जब माला फेरता है
तब हर जगह ध्यान देता है...
समाधान--
कोयी भी मनुष्य पैसे का महत्त्व जीवन में तुरन्त सीख लेता है। किसी के द्वारा अधिक बताया जाना नहीं पड़ता। पर पुण्य, अन्तःशुचि, मानसिक शान्ति आदि (माला जपना आदि कार्यों से प्राप्त होने वाले फलों) को पहचानने के लिये संस्कार और अभ्यास की आवश्यकता होती है। उसे स्वयं करके दखना पड़ता है। अनुभव से ही पता चलता है, क्यों कि वह अन्तः मन की बात होती है।
पहली दशा में अवश्य धीरे धीरे इधर उधर देखते हुये करे भले ही, पर बीच में छोडे नहीं। कुछ दिन बाद उसे उसका फल अनुभूत होने लगता है। वो भी एक दवायी जैसे काम करता है।
✍कितना अज़ीब है...
✨कि इंसान जब पैसे गिनता है तब,
किसी ओर जगह पर ध्यान नहीं देता..
✨मगर जब माला फेरता है
तब हर जगह ध्यान देता है...
समाधान--
कोयी भी मनुष्य पैसे का महत्त्व जीवन में तुरन्त सीख लेता है। किसी के द्वारा अधिक बताया जाना नहीं पड़ता। पर पुण्य, अन्तःशुचि, मानसिक शान्ति आदि (माला जपना आदि कार्यों से प्राप्त होने वाले फलों) को पहचानने के लिये संस्कार और अभ्यास की आवश्यकता होती है। उसे स्वयं करके दखना पड़ता है। अनुभव से ही पता चलता है, क्यों कि वह अन्तः मन की बात होती है।
पहली दशा में अवश्य धीरे धीरे इधर उधर देखते हुये करे भले ही, पर बीच में छोडे नहीं। कुछ दिन बाद उसे उसका फल अनुभूत होने लगता है। वो भी एक दवायी जैसे काम करता है।
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