प्रश्नः---
संस्कृत
के विद्वान ध्यान दें...
संस्कृत व्याकरण के सन्धि समास को लेकर बडी कशमकश में हूँ-
कृपया बतायें "विवाह" में
"वाह" छिपी है या "आह " ??
समाधान--
“आह जो वाह हो जाता है”।
और दोनों ही शब्द संस्कृत नहीं है।
संस्कृत के अनुसार विवाह विशेष वहन करना ((विशिष्टं वहनम् । वि + वह +घञ् ।
) होता है यानी अपने दायित्व को निभाना । अतः हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह इन
प्रश्नों को छोड़दे। सभी विवाहितों को अपनी दायित्व को निभाना चाहिए।
पुनः प्रश्न---
वैवाहिक जीवन सुखी है तो वाह।
दुःखी है तो आह ।
पुनः समाधान---
दोनों स्थिति में दायित्व निभाना अनिवार्य है..
इसमें कोई कन्सेषन नहीं।
सुख-दुःख तो अस्थायी है- यही तो सनातनधर्म का
सन्देश है। उसीके कारण कहा-कि आह भी हो तो वाह होजाता है..।