Thursday 31 May 2018

चिन्तन- - विवाह = वाह/आह (समाधान लेख)


प्रश्नः---

संस्कृत  के विद्वान ध्यान दें...

संस्कृत व्याकरण के सन्धि समास को लेकर बडी  कशमकश में हूँ-

कृपया बतायें "विवाह" में "वाह" छिपी है या "आह " ??


समाधान--

आह जो वाह हो जाता है।  

और दोनों ही शब्द संस्कृत नहीं है।

संस्कृत के अनुसार विवाह विशेष वहन करना ((विशिष्टं वहनम् ।  वि + वह +घञ् । ) होता है यानी अपने दायित्व को निभाना । अतः हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह इन प्रश्नों को छोड़दे। सभी विवाहितों को अपनी दायित्व को निभाना चाहिए।


पुनः प्रश्न---

वैवाहिक जीवन सुखी है तो वाह।

दुःखी है तो आह ।


पुनः समाधान---

दोनों स्थिति में दायित्व निभाना अनिवार्य है.. इसमें कोई कन्सेषन नहीं।

सुख-दुःख तो अस्थायी है- यही तो सनातनधर्म का सन्देश है। उसीके कारण कहा-कि आह भी हो तो वाह होजाता है..।

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